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chast namaz time in delhi ( दिल्ली में नमाज़ का समय )

 chast namaz time in delhi  ( दिल्ली में नमाज़ का समय )

💠 चास्त नमाज़ क्या है?

चास्त नमाज़ एक नफ़्ल (वैकल्पिक) नमाज़ है जो सूरज निकलने के कुछ समय बाद और ज़ुहर से पहले पढ़ी जाती है। इसे "दुहा" नमाज़ भी कहा जाता है। यह पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) की पसंदीदा नमाज़ों में से एक थी।


💠 दिल्ली में चास्त नमाज़ का समय

दिल्ली में सूरज आमतौर पर सुबह 5:25 AM से 5:45 AM के बीच निकलता है। चास्त नमाज़ इसके लगभग 15-20 मिनट बाद से शुरू होती है, यानी करीब 5:45 AM से 11:00 AM तक इसे पढ़ा जा सकता है।

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💠 चास्त नमाज़ पढ़ने का तरीका

  • 2 से लेकर 12 रकात तक पढ़ सकते हैं।

  • हर 2 रकात पर सलाम फिरना बेहतर है।

  • नियत: "मैं चास्त की 2 रकात नमाज़ अल्लाह के लिए पढ़ता हूँ।"



💠 हदीसों में इसका महत्व

हदीस में आया है कि:

“हर इंसान के शरीर पर हर दिन एक-एक हड्डी पर सदक़ा होता है... और दो रकात चास्त नमाज़ इस सबका बदला है।”
(सहीह मुस्लिम)


💠 रोज़ी और सुकून का ज़रिया

जो लोग रोज़ाना चास्त की नमाज़ पढ़ते हैं, अल्लाह तआला उनकी रोज़ी में बरकत देता है और दिलों को सुकून मिलता है। यह आत्मा की सफ़ाई और दिन की अच्छी शुरुआत का ज़रिया है।


💠 व्यावहारिक सुझाव

  • सुबह उठने की आदत डालें

  • वज़ू करके थोड़ी देर तिलावत करें

  • फिर चास्त की नमाज़ पढ़ें


💠 बच्चों और महिलाओं के लिए भी ज़रूरी

चास्त की नमाज़ बच्चे और महिलाएं घर पर भी आसानी से पढ़ सकते हैं। यह उन्हें अनुशासित और आध्यात्मिक बनाता है।


💠 निष्कर्ष

चास्त नमाज़ इस्लामी जीवनशैली में एक सुंदर रिवाज है, जो इंसान को दिन की शुरुआत में अल्लाह से जोड़ता है। खासकर दिल्ली जैसे तेज़ रफ़्तार शहर में यह आध्यात्मिक ब्रेक बन सकता है।


❓ FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1: दिल्ली में चास्त नमाज़ कब पढ़ी जाती है?
👉 सूरज निकलने के लगभग 20 मिनट बाद से लेकर ज़ुहर से पहले तक, यानी 5:45 AM से 11:00 AM तक।

Q2: क्या महिलाएं घर पर चास्त नमाज़ पढ़ सकती हैं?
👉 हां, बिल्कुल। और यह उनके लिए बेहतर है।

Q3: क्या चास्त नमाज़ की कोई निश्चित रकात है?
👉 आप 2, 4, 6, 8 या 12 रकात तक पढ़ सकते हैं, जो भी मुमकिन हो।

Q4: क्या यह रोज़ाना पढ़ना ज़रूरी है?
👉 नहीं, लेकिन इसका पढ़ना बेहद फायदेमंद और सुन्नत है।

Q5: क्या यह नमाज़ मस्जिद में पढ़ी जाती है?
👉 कुछ लोग मस्जिद में पढ़ते हैं, लेकिन इसे अकेले या घर पर भी पढ़ सकते हैं।









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